मध्यप्रदेश के सिवनी जिले से निकलने वाली वैनगंगा नदी प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक नदी है। इसका बहाव क्षेत्र मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र राज्य है। इस क्षेत्र में सिवनी, बालाघाट, चंदा और गोंदिया जिले प्रमुख हैं।
वैनगंगा का पौराणिक महत्व
वैनगंगा नदी का उल्लेख कई पुराणों और महाभारत में मिलता है। वैनगंगा के कई नाम हैं। ब्रह्मांड और कूर्म पुराण में इसे वेण्वा, वामन तथा मत्स्य पुराण में इसे वेणा और वायु पुराण में वेन्वा तथा मार्कण्डेय पुराण में वेण्या कहा गया है। महाभारत में उल्लेख है कि वेणा नदी वरुण के महल में निवास करती है। इसमें यह भी उल्लेख है कि उस प्रदेश के शासक को वेणा के कछार क्षेत्र में सहदेव ने दक्षिणी विजय अभियान के समय पराजित किया था। महाभारत में यह भी उल्लेख है कि जिन नदियों से अग्नि प्रज्वलित होती है उनमें से एक वेणा नदी है।
वेणा नदी की पवित्रता को लेकर वन पर्व में वर्णन है कि जो कोई भी इस नदी के तट पर रहकर तीन दिन उपवास करेगा वह स्वर्गारोहण करेगा। इस नदी में स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य प्राप्त होगा। अनुशासन पर्व में निर्देश है कि इस पुण्य नदी का सुबह-शाम स्मरण किया जाना चाहिए। वराहमिहिर ने भी बृहत्संहिता में वेणा का उल्लेख किया है।
वैनगंगा का उद्म और बहाव
वैनगंगा नदी का उद्गम सिवनी जिले के परताबपुर के ऊपरी हिस्से में स्थित पहाड़ी से हुआ है। यहां यह अर्धचंद्राकार रूप में पहले उत्तर, फिर पूर्व और फिर दक्षिणी-पूर्वी दिशा में बहती है। शुरुआत में यह चट्टानी क्षेत्र में बहती है। फिर उपजाऊ मैदान तथा संकरी घाटियों से होकर गुजरती है। धंवर संगम के पहले लगभग 10 किलोमीटर पहले तक वैनगंगा नदी क्षेत्र अत्यंत सुंदर है।
वैनगंगा सिवनी और बालाघाट जिलों की कुछ सीमा तक बहते हुए बालाघाट में प्रवेश करती है। यहां मण्डला जिले से आकर धंवर नदी इसमें मिलती है। जिले में प्रवेश से पहले यह पाटादेह ग्राम के उत्तर-पश्चिम में पहुंचती है और पश्चिम की ओर बढ़ते हुए जिले में प्रवेश करती है। इस तरह बालाघाट जिले में वैनगंगा का बहाव क्षेत्र 106 किलोमीटर है और चौड़ाई लगभग 800 फीट है। वैनगंगा के दाहिनी तट पर सारथी तथा चुन्नई और बायें तट पर सावरझोरी नदियों का संगम होता है। बालाघाट जिले के समापन स्थल पर वैनगंगा नदी का बांध नदी के साथ संगम होता है।
वैनगंगा भण्डारा जिले की प्रमुख नदी है। यहां की अन्य नदियां उसकी सहायक नदियां हैं। यह जिले में उत्तर-पूर्वी दिशा से प्रवेश करती है और उसके बाद बीच से बहती हुई आगे बहती है। कुछ दूरी पर नागपुर और भण्डारा जिलों की सीमा बनाती है। यहां पर इसकी चौड़ाई लगभग 500 गज है। जिले में वैनगंगा की प्रमुख सहायक नदियां हैं- कान्हान, पेंच, बावनथड़ी और सूरा। जिले में वैनगंगा की कुल लंबाई लगभग 200 किलोमीटर है। अपने ज्यादातर बहाव क्षेत्र में वैनगंगा नदी 50 से 60 फीट ऊंचे तटों के बीच प्रवाहित होती है। आगे यह महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में प्रवाहित होकर 570 किलोमीटर की यात्रा पूरी करके चंद्रपुर के दक्षिण-पश्चिम सीमा पर वर्धा नदी में मिल जाती है। वैनगंगा और वर्धा के संगम के बाद प्राणहिता के नाम से जानी जाती है। प्राणहिता आगे जाकर गोदावरी से संगम करती है।
वैनगंगा की प्रमुख सहायक नदियां
कान्हान नदी
कान्हान नदी का वैनगंगा से दायें तट पर संगम होता है। यह वैनगंगा की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है। यह छिंदवाड़ा जिले के पश्चिमी पठार से निकलती है और देवगढ़ के सुप्रसिद्ध किले के पास से बहती हुई नागपुर के उत्तरी क्षेत्र में प्रवेश करती है। आगे चलकर यह भण्डारा जिले में पहुंचती है और भण्डारा क्षेत्र से लगभग दस किलोमीटर दूर गोड़ी पीपरी के पास वैनगंगा में मिलती है।
पेंच
पेंच नदी कान्हान की सहायक नदी है। इसका उद्गम सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के दक्षिणी पठार से होता है। यह दक्षिणी-पूर्वी सीमा में कई मोड़ लेती हुई दक्षिण की ओर मुड़ती है और नागपुर के कामठी के पास कान्हान में मिल जाती है।
बाघ
बाघ नदी वैनगंगा नदी की प्रमुख सहायक नदी होने के साथ महत्वपूर्ण है। भण्डारा जिले के चीचगढ़ ग्राम के निकट चीचगढ़ पठार में बाघ नदी का उद्गम होता है। इसकी लंबाई लगभग 166 किलोमीटर है। यह आम गांव के पास बालाघाट और भण्डारा जिले की सीमा पर कुछ दूरी तक बहती है और वीर सोला के पास वैनगंगा में मिल जाती है।
बावनथड़ी नदी
यह नदी सिवनी जिले से निकलती है और दक्षिण की ओर बहती हुई उत्तर-पूर्व दिशा से भण्डारा में प्रवेश करती है। लगभग 48 किलोमीटर तक बहने के बाद यह वैनगंगा में मिल जाती है। बावनथड़ी नदी छोटी नदी है लेकिन इसमें कई पहाड़ी नदियां मिलती हैं, इसलिए बावनथड़ी नदी में पूरे वर्ष पानी रहता है।
वर्धा
वर्धा नदी का उद्म बैतूल जिले की मुलताई तहसील से हुआ है। यह नदी लगभग तेरह किलोमीटर तक छिंदवाड़ा जिले की दक्षिणी सीमा बनाते हुए महाराष्ट्र में प्रवेश करती है। आगे चलकर इसका वैनगंगा से संगम होता है।
वैनगंगा नदी क्षेत्र के दर्शनीय स्थल
मुन्दर
वैनगंगा का उद्म स्थल होने की वजह से यह पवित्र स्थल माना जाता है। यह सिवनी शहर से 16 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में परताबपुर के निकट स्थित है। वैनगंगा उद्गम स्थल पर कई मंदिर हैं। यहां कार्तिक के महीने में मेला लगता है। यह मेला पंद्रह दिनों तक चलता है। इन दिनों में हजारों श्रद्धालु वैनगंगा में स्नान करने आते हैं।
छपारा
छपारा सिवनी जिले की लखनादौन तहसील में वैनगंगा तथा एक छोटी नदी मोतीनाला के संगम पर स्थित है। मोतीनाला नदी का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां कभी मोती निकलते थे। यहां छह बस्तियां होने के कारण इसका नाम छपारा पड़ा। यहां स्थित एक किले की दक्षिणी दीवार वैनगंगा के किनारे और पश्चिमी मोतीनाला के किनारे स्थित है। यह किला देवगढ़ के गोंड राजवंश के शासक बख्त बुलंद के संबंधी रामसिंह ने बनवाया था। 1857 की क्रांति के समय इस किले को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया गया था।
पौनी
पौनी महाराष्ट्र के भण्डारा जिले में भण्डारा शहर से लगभग 51 किलोमीटर दूर वैनगंगा के तट पर स्थित है। इसका नाम पवन नामक एक राजा के नाम पर पड़ा। इसी राजा के नाम पर वर्धा जिले में पोहना तथा पवनार गांव का नाम भी पड़ा है। पुरातात्विक उत्खननों के द्वारा पौनी का ऐतिहासिक और प्राचीन महत्व सिद्ध हो चुका है। यह बौद्ध धर्म का भी एक बड़ा केन्द्र है। यहां से वाकाटक वंश के शिलालेख, सातवाहन काल की मुद्राएं और मौर्य तथा शुंगकालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं।
Leave a Reply