ताप्ती नदी मध्यप्रदेश की प्रमुख नदी है। इसे तापी भी कहते हैं। इसका उद्म मध्यप्रदेश के पूर्वी सतपुड़ा पर्वत माला में बैतूल जिले के मुलताई से हुआ है। इसका निर्माण दो छोटी नदियों पूर्णा और गिरणा से हुआ है। ताप्ती उद्म के बाद पश्चिम दिशा में बहती है। इसकी लंबाई लगभग 724 किलोमीटर है। ताप्ती नदी मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई से निकलकर महाराष्ट्र तथा गुजरात राज्यों से होकर पश्चिम की ओर बहती हुई अंत में सूरत के पास खंभात की खाड़ी (अरब सागर) में जाकर मिल जाती है।
ताप्ती नदी का प्रवाह क्षेत्र
- मध्यप्रदेश के बैतूल और बुरहानपुर जिले।
- महाराष्ट्र के अमरावती, अकोला, बुलढाणा, वाशिम, जलगांव, धुले और नासिक जिले।
- गुजरात के सूरत और तापी जिले।
ताप्ती का महत्व एवं सहायक नदियॉं
- ताप्ती नदी की अपने प्रवाह क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है।
- कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है।
- विविध वनस्पति और जीव-जन्तुओं का पोषण करती है।
महत्वपूर्ण सहायक नदियॉं
- पूर्णा नदी
- गिरणा नदी
- पन्ज़ारा नदी
- वाघूर नदी
- बोरी नदी
- आनेर नदी
ताप्ती नदी का बहाव
ताप्ती नदी का बहाव इसके उद्गम से लेकर अरब सागर में मिलने तक मुख्य रूप से चार भागों में विभाजित किया गया है। पहला बहाव क्षेत्र उद्गम से लेकर बुराहनपुर तक दूसरा बुरहानपुर से खानदेश तक, तीसरा चट्टानी इलाका और फिर अंत में गुजरात के मैदानी उपजाऊ प्रदेश से बहते हुए अरब सागर में मिलने तक। अपने बहाव के क्षेत्र में ताप्ती 240 किलोमीटर की दूरी तक सतपुड़ा की चट्टानी दीवारों के बीच बहती है। इस क्षेत्र में चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य की छटा दिखाई पड़ती है। कुछ स्थानों पर यह लगभग 150 मीटर चौड़ी और गहरी घाटी से होकर बहती है। बुरहानपुर से कुछ पहले सतपुड़ा कि पहाड़ियां नदी के किनारों से कुछ दूरी पर है। इससे नदी का किनारा खुल जाता है।
ताप्ती नदी के बहाव का दूसरा क्षेत्र 290 किलोमीटर है। यह महाराष्ट्र के खानदेश का इलाका है। यहां ताप्ती का बहाव समतल और उपजाऊ क्षेत्र में है। इसकी चौड़ाई लगभग 250 से 400 मीटर है। खानदेश के लगभग 30 किलोमीटर इलाके में ताप्ती का बहाव चट्टानी क्षेत्र से होकर गुजरता है। यहां से आगे यह गुजरात की ओर बढ़ती है।
तीसरे क्षेत्र में ताप्ती 80 किलोमीटर तक चट्टानी इलाके में बहती है और चौथे क्षेत्र में यह 130 किलोमीटर मैदानी इलाके से बहती है। इस 130 किलोमीटर क्षेत्र में लगभग 100 मीटर का इलाका ऊपरी स्वच्छ जल का है बाकी हिस्सा समुद्री ज्वार का है। शुरू वाले हिस्से में नदी का पाट 500 से एक हजार मीटर तक चौड़ा है। समुद्र के ज्वार वाले इलाके से यह सूरत जिले के अत्यंत उपजाऊ मैदान से होकर गुजरती है। सागर से संगम के कुछ किलोमीटर पहले के हिस्से में उपज नहीं ली जाती है, क्योंकि समुद्री ज्वार के कारण इसके डूबने की संभावना बनी रहती है।
ताप्ती नदी के प्रमुख क्षेत्र
ताप्ती नदी के बहाव क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है। जिनमें से मुलताई, परसडोह और बुरहानपुर मध्यप्रदेश में है। महाराष्ट्र में इसके आसपास भुसावल, थालनेर और प्रकाश तीर्थ है। गुजरात में इसके किनारे प्रसिद्ध बोधण तीर्थ है और सूरत बंदरगाह भी है।
मुलताई बैतूल जिले में है। उद्म के स्त्रोत के रूप में मुलताई को पवित्र माना जाता है। यहां ताप्ती मेला आयोजित किया जाता है।
परसडोह बैतूल से चार किलोमीटर दूर धनोरा ग्राम के पास है। जहां ताप्ती एक कुंड में गिरती है। मान्यता है कि जिस कुंड में यह धारा गिरती है उसके नीचे पारस पत्थर छिपा हुआ है। ताप्ती के कुंड में गिरने का यह क्षेत्र अत्यंत मनोरम है।
बुरहानपुर ऐतिहासिक और पौराणिक रूप से प्रसिद्ध नगर है। यह शहर दस्तकारी, वस्त्र, शिल्प और कला कौशल के लिए विख्यात है। यहां की प्राचीन सुव्यवस्थित जल प्रदाय प्रणाली महत्वपूर्ण है। असीरगढ़ का किला अपनी भव्यता और सुदृढ़ता के कारण अजेय माना जाता है।
ताप्ती तट पर स्थित तीर्थ
ताप्ती के तट पर लगभग 200 तीर्थस्थल हैं। इन तीथों की महिमा का उल्लेख स्कंद पुराण के तापी माहात्य में किया गया है। ताप्ती माहात्य के पद तीर्थ के अनुसार ताप्ती नदी की पवित्रता की कोई समानता नहीं है। जो पुण्य दूसरी नदियों में स्नान करने या उनके दर्शन से प्राप्त होता है वही पुण्य ताप्ती के स्मरण मात्र से ही प्राप्त हो जाता है।
पारिस्थितिक महत्व
ताप्ती नदी और इसके आसपास का पारिस्थितिकी तंत्र विविध प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का घर है। यह नदी विभिन्न प्रकार के जलीय जीवन का पालन करती है, जिसमें कई मछली प्रजातियां भी शामिल हैं। नदी के किनारे और आस-पास की आर्द्रभूमि कई पक्षी प्रजातियों के लिए आवास के रूप में हैं। नदी और उसकी सहायक नदियां क्षेत्र में कृषि के लिए उपयोगी हैं जो सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती हैं।
कृषि एवं सिंचाई के लिए महत्व
ताप्ती नदी क्षेत्र कृषि और सिंचाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके पानी का उपयोग गुजरात और महाराष्ट्र के उपजाऊ मैदानों में सिंचाई के लिए किया जाता है, जो क्षेत्र की कृषि उत्पादकता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। नदी के पानी का उपयोग पेयजल, औद्योगिक गतिविधियों और जल विद्युत उत्पादन के स्रोत के रूप में भी किया जाता है।
पर्यावरणीय चिंता
भारत की कई अन्य नदियों की तरह, ताप्ती नदी को भी कई पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शहरी और औद्योगिक स्रोतों के प्रदूषण ने नदी के पानी की गुणवत्ता को प्रभावित किया। जो पीने के लिए उपयुक्त नहीं होने के साथ जलीय जीवन को भी प्रभावित करता है। अतः प्रदूषण को कम करने और नदी के पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।
बाढ़ एवं नदी प्रबंधन
ताप्ती नदी में बाढ़ का खतरा रहता है। विशेषकर मानसून के दौरान जब इसके जलग्रहण क्षेत्र में भारी वर्षा होती है। नदी के किनारे मानव बस्तियों और कृषि भूमि पर बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए बाढ़ प्रबंधन और नदी सुरक्षा उपाय महत्वपूर्ण हैं। बांधों और तटबंधों के निर्माण से बाढ़ नियंत्रण में मदद मिलती है और नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है।
पर्यटन और मनोरंजक गतिविधियां
ताप्ती नदी से जुड़ी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करती है। यह नदी नौकायन, मछली पकड़ने और अन्य मनोरंजक गतिविधियों के अवसर प्रदान करती है। सुरम्य परिदृश्य और वन्य जीवन की उपस्थिति से यह पर्यावरण-पर्यटन के लिए एक आकर्षक गंतव्य है।
ताप्ती नदी मध्य भारत की एक महत्वपूर्ण जल संपदा है, जो मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर बहती है। सतपुड़ा रेंज से निकलने वाली यह नदी पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में मिलने से पहले 724 किलोमीटर की दूरी तय करती है। नदी का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्व है, यह कृषि और जल विद्युत परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। नदी प्रवाह क्षेत्र और नदी तट कई जीवों और वनस्पतियों को जीवन प्रदान करते हैं।
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