चंबल नदीं मध्यप्रदेश की बड़ी और महत्वपूर्ण नदी है। यह मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों से होकर गुजरती है। यह नदी अपनी अनोखी विशेषताओं और महत्व के लिए जानी जाती है। इसकी उत्पत्ति इंदौर जिले की महू तहसील में विध्य पर्वत से हुई है। इसका उल्लेख कई पुराणों में मिलता है। महाभारत में इसे पुण्या और भागवत, मार्केण्डेय, वायु, ब्रह्मांड, मत्स्य तथा कूर्म पुराणों में इसे चर्मण्वती कहा गया है। यह नदी जैव विविधिता, पारिस्थितिकी और सांस्कृतिक महत्ता के लिए जानी जाती है। चंबल नदी के किनारे कई ऐतिहासिक तथा धार्मिक तीर्थ स्थल है। चंबल नदी तथा नदी क्षेत्र के साथ कई पौराणिक महत्व जुड़े है। नदी 960 किलोमीटर लंबी है। जो कि मध्यप्रदेश में उत्तर दिशा में लगभग 346 किलोमीटर लंबाई तक बहती है।
उद्म और बहाव
चंबल इंदौर जिले की मऊ तहसील में विंध्यपर्वत की पहाड़ी से निकली है। उसके उद्गम पर एक तालाब और जनकेश्वर मन्दिर है। इसका बहाव उत्तर-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर है। यह उज्जैन और रतलाम जिलों में बहती हुई मंदसौर जिले की दक्षिणी सीमा बनाती है। मध्यप्रदेश की सीमा छोड़ कर फिर चंबल नदी राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में पहले कोटा जिले में पहुंचती है। पूर्व में यह बूंदी जिले की सीमा बनाती है। कोटा शहर में हर मौसम में चंबल में पानी रहता है। इसका पाट भी यहां बहुत चौड़ा है।
कोटा जिले के बाद चंबल नदी राजस्थान के बूंदी जिले में पहुंचती है तथा जिले की पूर्वी और दक्षिण सीमा बनाती है। इस जिले में चंबल का पाट 200 से 400 मीटर तक चौड़ा हो जाता है। कोटा से करीब 20 किलोमीटर और बूंदी से करीब 35 किलोमीटर दूर बेश्वराय पाटन नाम का प्राचीन स्थान चंबल के किनारे बसा है। कभी इस कस्बे का नाम राजा रन्तिदेव के नाम पर रन्तिदेव पाटन था। राजस्थान के बाद चंबल एक बार फिर मध्यप्रदेश की ओर मुड़ जाती है। वह मुरैना जिले की उत्तर-पश्चिमी और उत्तरी सीमा बनाती है। यह राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच की सीमा भी बनाती है।
मुरैना जिले के आगे चंबल, भिण्ड जिले की उत्तरी सीमा बनाती है। यहां यह सीमा पर करीब 60 किलोमीटर दूरी तक बहती है। भिण्ड और मुरैना, दोनों जिलों में चंबल के किनारे बहुत ऊंचे हैं। चंबल ने दोनों जिलों में किनारों की जमीन को दूर-दूर तक काट-छांट दिया है, इससे बड़ी-बड़ी दरारें और खाइयों का निर्माण हुआ। यह खाइयां बीहड़ों के नाम से जानी जाती है।
चंबल नदी प्रवाह क्षेत्र एवं संबंंधित राज्य
मध्यप्रदेश – चंबल नदी मध्यप्रदेश के कई जिलों से होकर गुजरती है, जिनमें इंदौर, धार, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर और नीमच शामिल हैं।
राजस्थान – चंबल नदी राजस्थान के जिन जिलों से होकर गुजरती है, उनमें कोटा, सवाई माधोपुर, करौली और धौलपुर शामिल हैं। इसके बाद चंबल नदी उत्तर प्रदेश में यमुना नदी में मिल जाती है।
ऐतिहासिक महत्व
प्राचीन सभ्यता – चंबल नदी के किनारे कई सभ्यताओं के प्राचीन अवशेष पाए गए हैं।
मध्ययुगीन महत्व – चंबल नदी के किनारे कई मध्ययुगीन किले और शहर बसे हुए थे।
स्वतंत्रता संग्राम – चंबल नदी के क्षेत्र में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है।
सहायक नदियां
चंबल की अनेक सहायक नदियां हैं। इनमें से मुख्य नदियां हैं दक्षिण दिशा से मिलने वाली शिप्रा, कालीसिंध, पार्वती और बेतवा। पश्चिम दिशा में, राजस्थान की ओर से, इसमें दो बड़ी नदियां आकर मिलती है – मैज नदी एवं बनास। बनास और चंबल का संगम रामेश्वर संगम कहलाता है। इस संगम को बहुत पवित्र माना जाता है। भिण्ड से आगे चंबल उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में प्रवेश करती है। वह कुछ दूरी तक जिले की पश्चिमी सीमा बनाती है। फिर दक्षिण सीमा के पास वह यमुना नदी में मिल जाती है।
चंबल घाटी योजना
देश के विकास के लिये, आजादी के बाद अनेक नदी घाटी योजनाओं का विकास किया गया, इसी कड़ी में चंबल नदी पर, मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर एक विशाल बांध बनाया गया था। इसका नाम गांधीसागर बांध है। इस बांध से एक विशाल झील का निर्माण किया गया है, जिससे लाखों एकड़ जमीन में सिंचाई की जा रही है। इसमें बिजली का उत्पादन भी किया जा रहा है। गांव-गांव में बिजली पहुंच गयी है और इससे खेती में भी सहायता मिल रही है। कोटा जिले में राणा प्रताप सागर बांध और कोटा बांध बनाये गये हैं इनसे भी सिंचाई की जा रही है। और बिजली का उत्पादन हो रहा है। चंबल के पुण्य से मध्यप्रदेश का पश्चिमी भू-भाग, खेती से हरा-भरा हो रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- उत्पत्ति – चंबल नदी मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के महू के पास स्थित विंध्याचल पर्वतमाला से निकलती है।
- प्रवाह – यह नदी मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों से होकर गुजरती है, जिनमें कोटा, सवाई माधोपुर और धौलपुर जैसे शहर शामिल हैं।
- संगम – चंबल नदी यमुना नदी में मिलती है, जो आगे जाकर गंगा नदी में मिल जाती है।
- महत्व – चंचल नदी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण जल संसाधन है, जो कृषि, पेयजल और अन्य उपयोगों के लिए जल प्रदान करती है।
- बीहड़ क्षेत्र – चंबल नदी मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीहड़ क्षेत्रों से होकर गुजरती है, जो अपनी अनोखी भौगोलिक संरचना के लिए जाने जाते है।
- घड़ियाल – चंचल नदी में घड़ियाल और डॉल्फिन जैसी दुर्लभ प्रजातियों का निवास है, जो इसकी जैव विविधता को दर्शाता है।
- पारिस्थितिकी महत्व – चंबल नदी के आसपास के क्षेत्र में विविध वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं की प्रजातियां पाई जाती हैं, जो इसकी पारिस्थितिकी को महत्वपूर्ण बनाती हैं।
- कृषि और पेयजल – चंबल नदी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण जल संसाधन है, जो कृषि, पेयजल और अन्य उपयोगों के लिए जल प्रदान करती है।
- ऐतिहासिक महत्व – चंबल नदी के किनारे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल हैं, जो इसकी सांस्कृतिक महत्ता को दशति हैं।
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